नेपाल और भारत के रिश्ते में अचानक तनाव क्यों आ गया है? क्यों अचानक नेपाल ने भारत के क्षेत्र को अपने नक्शे में शामिल करने का फैसला किया? आखिर क्यों भारत विरोधी सेंटिमेंट को इतनी हवा दी जा रही है? ऐसे कई सवाल आपके मन में भी होंगे। असल में पड़ोसी देश के रुख में आए इस बदलाव की वजह इन दिनों काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में सड़कों पर दिख रही है। सत्ता से ढीली होती पकड़ और कोरोना जंग तक में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी सरकार राष्ट्रवाद के सहारे कुर्सी बचाने की कोशिश में है।
नक्शा विवाद के जरिए भारत से इन दिनों रिश्ता बिगाड़ने में जुटी नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार इन दिनों अपने घर में बुरी तरह घिरी हुई है। नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली एक तरफ भारतीय क्षेत्र को नेपाल के नक्शे में दिखाकर अपनी जमीन मजबूत करना चाहते हैं, तो दूसरी तरफ देशभर में उनके खिलाफ फैला आक्रोश उन्हें सत्ता से ही दूर कर देना चाहता है। वहां लोग सरकार को सैनिटाइज करने की आवाज उठा रहे हैं।
राजधानी काठमांडू सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में उनके खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। कोरोना संक्रमण से निपटने में नाकामी, गरीबों की मदद करने में सरकार की असफलता और भ्रष्टाचार को लेकर नेपाल की जनता लॉकडाउन तोड़कर भी सरकार के खिलाफ सड़कों पर निकल रही है।
नेपाल के स्थानीय समाचार पत्रों और न्यूज वेबसाइटों पर जो तस्वीरें प्रकासित हो रही हैं, उनसे समझा जा सकता है कि केपी शर्मा ओली की सरकार इन दिनों किस तरह घर में घिरी हुई
है। चीन के नजदीक समझे जाने वाले केपी शर्मा ओली सत्ता संभालने के बाद से ही लगातार घिरे हुए हैं। उनकी लोकप्रियता तेजी से घट रही थी। बताया जाता है कि पार्टी में भी गुटबाजी चरम पर है।
केपी ओली शर्मा सरकार पर आरोप लग रहा है कि कोरोना के खिलाफ जंग में भी भ्रष्टाचार किया जा रहा है। मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस सरकार से कोरोना महामारी पर अब तक खर्च किए गए 10 अरब रुपए का हिसाब मांग रही है। सरकार से संसद के सामने खर्च का ब्योरा देने की मांग की जा रही है। कांग्रेस सांसद गगन थापा ने मंगलवार को संसद में कहा, 'सरकार ने केवल 5 पोलीमर चेन रिएक्शन टेस्ट मशीन और 25 हजार किट्स खरीदे और कह दिया कि 10 अरब डॉलर खर्च हो गए।'
नेपाल में कोरोना वायरस केसों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है। यहां 5 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और 16 लोगों की जान गई है। लेकिन सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि दूसरे देशों के मुकाबले काफी देरी कोरोना फैलने के बाद भी सरकार इंतजाम नहीं कर पाई। सरकार वहां पीसीआर टेस्ट की बजाय रैपिड टेस्ट पर जोर दे रही है, जबकि इसका भारी विरोध हो रहा है। प्रदर्शनकारी हाथों में 100% पीसीआर लिखे बैनर और पोस्टर लेकर सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि रैपिड टेस्ट का इस्तेमाल संक्रमण के सर्विलांस के लिए किया जाता है, क्योंकि इनके नतीजे अक्सर गलत निकलते हैं।
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